https://pdf - txt.com/ Page 1 PDF Name Bhagwat Geeta in Short Number of pages 10 PDF Category Hindu Devotional PDF Language हिन्दी Writer N.A. PDF Updated July 21, 2023 PDF Size 2 MB Design and Uploaded by https://pdf - txt.com/ गीत ज्ञ ान सार हिन्दी PDF PDF Index Table https://pdf - txt.com/ Page 2 भगवद गीता ज्ञ ान सार भगवद गीता एक मिान धार्मिक ग्र ं थ िै, जो वेद, उपननषद और वैष्णव र् िदधांत क े िाथ िंबंधधत िै। यि भगवान श्र ीकृष् ण और अजजिन क े बीच िजआ िंवाद िै जो मिाभारत क े यजदध क े पिले िजआ था। इि ग्र ं थ में जीवन क े उच्चतम और गिन तत्त्व को िमझाने वाले उपदेश िैं। नीचे भगवद गीता क े ज्ञ ान का िार िै: - > धर्म क े र् ागम: भगवद गीता क े माध्यम िे िमें धमि क े ििी मागि को िमझाया गया िै। धमि का अथि िै कतिव्यननष्ठा और ित्यननष्ठा। - > कर्मयोग: गीता में किा गया िै कक कमियोगी व् यक्तत कोई भी कमि भलीभांनत करते िैं और फल की धचंता निीं करते। गीत ज्ञ ान सार हिन्दी PDF https://pdf - txt.com/ Page 3 - > ज्ञ ान और भक्तत : भगवद गीता में ज्ञ ान का मित्व और भक्तत क े िाधना दवारा भगवान क े प्र नत प्र े म की महिमा का वणिन िै। - > आत्र्ा और ब्र ह् र् : गीता क े अनजिार, आत् मा अमर िै और यि शरीर िे अलग िै, इिे नष्ट निीं ककया जा िकता। आत्मा ब्र ह् म िे अर्भन्न िै। - > त् याग और सर्र्मण : गीता ने त् याग की मित्ता बताई िै, िाथ िी िमपिण क े माध्यम िे िी व् यक्तत ईश्वर को प्र ाप्त कर िकता िै। - > सर्ता: भगवद गीता ने िमता की महिमा और िभी मनजष् यों क े प्र नत िमान भाव को स् थान हदया िै। - > सर्स्या का सार्ना : गीता ने जीवन की िमस्याओं िे क ै िे िामना करना िै, इिे क ै िे पार ककया जाए, इिक े उपाय और ननदान को िमझाया िै। गीत ज्ञ ान सार हिन्दी PDF https://pdf - txt.com/ Page 4 - > ननयंत्रण: भगवद गीता ने मन को ननयंत्रित करने और ववचारों को शजदध करने क े उपायों को बताया िै। - > भगवान क े आग्रि : गीता में किा गया िै कक िमें भगवान क े आज्ञ ानजिार जीवन जीना चाहिए, ताकक िम धार्मिक और उदार जीवन त्र बता िक ें । - > आत्र्ववश्वास : गीता में स् पष्ट ककया गया िै कक िमें अपने आत्मववश्वाि पर ववश्वाि करना चाहिए और कभी भी िार निीं मानना चाहिए। - > अनन्य भक्तत : गीता में अनन्य भक्तत क े माध्यम िे िी िम भगवान को प्र ाप्त कर िकते िैं और भगवान िमारे प्र नत अत् यंत कृपालज िैं। यि थे भगवद गीता क े ज्ञ ान िार क े क ज छ त्र बंदज। भगवद गीता ने जीवन क े िभी पिलजओं को िमझाया िै और एक िमृदध और िाथिक जीवन जीने क े र् लए मागिदशिन ककया िै। इि ग्र ं थ का िंदेश िै कक व् यक्तत को िमस्याओं का िामना करने, धमिपरायण बनने, और आत् मववकाि क े र् लए उत् िाहित करते िजए जीवन जीना चाहिए। गीत ज्ञ ान सार हिन्दी PDF https://pdf - txt.com/ Page 5 यिां भगवद गीता क े और क ु छ र् ित् वर् ू णम संदेश: - > संयर्: भगवद गीता में िंयम का मित्व बताया गया िै। व् यक्तत को अपनी इंहियों को ननयंत्रित करने और मन को शांत करने की कला का िीखाया गया िै। - > जीवन का उद्देश्य : गीता ने िमझाया िै कक मनजष् य का उददेश् य आत् मववकाि, धार् मिकता, और िम् पूणिता को प्र ाप्त करना िै। - > सर्र्मता का ववकास : गीता में मन, शरीर, और आत्मा क े िंयम दवारा व् यक्तत अपनी िमथिता को ववकर्ित करता िै और जीवन क े िर क्ष े ि में िफल िोता िै। - > ननष्कार् कर्म: भगवद गीता ने बताया िै कक ननष्काम कमि करने िे िी मनजष् य अपने कतिव् यों को ननभाते िैं और फल की धचंता निीं करते। - > आत्र्ननरीक्षण: गीता ने आत्मननरीक्षण क े मित्व को बताया िै। व् यक् तत को अपने गजणों और दोषों को धचंतन करक े उन् िें िजधारने की कला का अध् ययन करना चाहिए। गीत ज्ञ ान सार हिन्दी PDF https://pdf - txt.com/ Page 6 - > आत्र्संयर्: भगवद गीता में आत्मिंयम का मित्व बताया गया िै। व् यक्तत को आत्मवश्य रखकर अपने जीवन को िमथि बनाना चाहिए। - > वैराग्य: गीता ने वैराग्य की महिमा को बताया िै। यि भगवान की प्र ाक् प् त का एक मागि िै जो मनजष् य को आनंद, शांनत, और मजक् तत की प्र ाक् प् त क े र् लए दृ ढ़ करता िै। भगवद गीता क े यि िंदेश िमें िाथिक और िफल जीवन क े मागि पर चलने क े र् लए प्र े ररत करते िैं। इि धार्मिक ग्र ं थ क े माध्यम िे िम अध्याक्त्मक उन्ननत क े र् लए प्र याि करते िैं और आत्मज्ञान की प्र ाक्प्त का िमथिन करते िैं। यि जीवन को िमथि, धार्मिक और आनंदमय बनाने में िमारी मदद करता िै। गीत ज्ञ ान सार हिन्दी PDF https://pdf - txt.com/ Page 7 भगवद गीता का प्र ससद्ध श् लोक और उसका अर्म हिंदी र् ें ननम् नसलखित िै: श् लोक: "कमिण् येवाधधकारस् ते मा फलेषज कदाचन। मा कमिफलिेतजभूिमाि ते िङ् गोऽस् त् वकमिणण॥" (भगवद गीता 2.47) अर्म: इि श् लोक में भगवान किते िैं कक तजम् िारा अधधकार क े वल कमि करने में िै, फल की धचंता मत करो। तजम कमिफल क े र् लए कमि न करने में लगे रिो और तजम् िें फल क े िेतज भी निीं बनना चाहिए। इि श् लोक में भगवान श्र ीकृष् ण ने अजजिन को कमियोग का िंदेश हदया िै। वि किते िैं कक मनजष् य को अपने कमि करने में िी लगाव िोना चाहिए और फल की धचंता करने िे उिे बचना चाहिए। इि प्र कार कमियोगी व् यक् तत कमि करते िैं, परन् तज उिे कमिफल की आकांक्ष ा निीं िोती िै, और इििे वि अशांनत और दजख िे रहित रिता िै। गीत ज्ञ ान सार हिन्दी PDF https://pdf - txt.com/ Page 8 भगवद गीता का प्र ससद्ध श् लोक और उसका अर्म हिंदी र् ें ननम् नसलखित िै: श् लोक: " यदा यदा हि धमिस्य ग् लाननभिवनत भारत। अभ् यजत् थानमधमिस् य तदात् मानं िृजाम् यिम ्॥" (भगवद गीता 4.7) अर्म: िे भारत! जब - जब धमि की िानन और अधमि का उदय िोता िै, तब - तब मैं स् वयं को प्र कट करता िूं। श् लोक: " वािांर् ि जीणािनन यथा वविाय। नवानन गृह् णानत नरोऽपराणण॥" (भगवद गीता 2.22) अर्म: जैिे कक मनजष् य पजराने वस् िों को त् यागकर नए वस् ि पिनता िै, उिी प्र कार शरीर भी जन्म - मृत् यज क े चक्र में पजराने शरीर को छोड़ कर नए शरीर को धारण करता िै। गीत ज्ञ ान सार हिन्दी PDF https://pdf - txt.com/ Page 9 भगवद गीता का प्र ससद्ध श् लोक और उसका अर्म हिंदी र् ें ननम् नसलखित िै: श् लोक: " कमिण्यकमि यः पश्येदकमिणण च कमि यः। ि बजदधधमान् मनजष् येषज ि यजततः कृत् स् नकमिकृत ्॥" (भगवद गीता 4.18) अर्म: जो व् यक्तत अकमि में कमि को और कमि में अकमि को देखता िै, विी बजदधधमान मनजष् यों में िब कमों को ननवविकार रिने वाला और िमथि िोता िै। यि श् लोक िकाम और ननष्काम कमि क े अथि में भेद बताता िै और िब कमों को िमान रू प िे करने की उपदेश देता िै। गीत ज्ञ ान सार हिन्दी PDF https://pdf - txt.com/ Page 10 भगवद गीता का प्र ससद्ध श् लोक और उसका अर्म हिंदी र् ें ननम् नसलखित िै: श् लोक: " कमिण् येवाधधकारस् ते मा फलेषज कदाचन। मा कमिफलिेतजभूिमाि ते िङ् गोऽस् त् वकमिणण॥" (भगवद गीता 2.47) अर्म: इि श् लोक में भगवान किते िैं कक तजम् िारा अधधकार क े वल कमि करने में िै, फल की धचंता मत करो। तजम कमिफल क े र् लए कमि न करने में लगे रिो और तजम् िें फल क े िेतज भी निीं बनना चाहिए। यि श् लोक भगवद गीता का िबिे प्र र् िदध श् लोक में िे एक िै और यि िंिार भर क े लोगों दवारा ध् यान िे याद ककया जाता िै। इि श् लोक का िंदेश िै कक िमें अपने कमों में लगाव िोना चाहिए, उन्िें ईमानदारी िे ननभाना चाहिए, और फल की धचंता िे मजतत िोकर िकाम कमों िे अकमिण्यता को प्र ाप्त करना चाहिए। गीत ज्ञ ान सार हिन्दी PDF