म ांग-पत्र निम्नोक्त व्यक्तक्तओं ां वार यांक्क्त प प यज र ी: डॉ. जी. जी. परीख, मुंबई (प्रख्यात गाुं धीवादी समाजवादी नेता; सुंपादक, जनता साप्ताहिक) न्यायमूहति बी. जी. कोळसे -पाटील, पणे (सेवाहनवृत्त न्यायाधीश, मुंबई उच्च न्यायालय) मेधा पाटकर, बडवानी, मध्य प्रदे श (नमिदा बचाओ आुं दोलन; जन आुं दोलनोुं का राष्ट्रीय समन्वय) पद्मश्री दे वनूरु मिादे वा, बेंगलूरु (प्रख्यात कन्नड लेखक) हजज्ञेश मेवाणी, अिमदाबाद (हवधायक, वडगाम, गजरात हवधान सभा; राष्ट्रीय दहलत अहधकार मुंच) अरुणा रॉय, राजसमुंद, राजस्थान (मज़दू र हकसान शक्ति सुंगठन) प्रा. अहनल सद्गोपाल, भोपाल (भूतपूवि डीन, हदल्ली हवश्वहवद्यालय; अक्तखल भारत हशक्षा अहधकार मुंच) प्रा. जगमोिन हसुंि, लहधयाना (असोहसएशन फॉर डे मोक्रॅहटक राइट् स) डन रॉय, हदल्ली (FREA के भूतपूवि सदस्य; हिलिाल सुं चालक, िे ज़ाड्ि स सेंटर, हदल्ली) डॉ. प्यारे लाल गगि, चुंडीगढ़ (भारत ज्ञान हवज्ञान सहमहत, पुंजाब) डॉ. इम्राना क़ादीर, हदल्ली (भूतपूवि प्राध्यापक, जवािरलाल नेिरू हवश्वहवद्यालय; हिलिाल मिानभवी प्राध्यापक, काउक्तिल िॉर सोशल डे व्हलपमेंट, नई हदल्ली) डॉ. एस. पी. उदयकमार, नागरकोईल, तहमल नाड (परमाण ऊजाि हवरोधी जन आुं दोलन) अहवक सिा, हदल्ली (स्वरज अहभयान) प्रा. रूप रे खा वमाि , लखनऊ (भूतपूवि कायि कारी कलगरू, लखनऊ हवश्वहवद्यालय; सहचव, साझी दहनया) नीरज जैन (लोकायत, पणे; सिसुंपादक, जनता साप्ताहिक, मुंबई) प्रा. सभाष वारे , पणे (एस. एम. जोशी सोशहलस्ट िाउुं डेशन, पणे ) प्रा. आर. रामानजम, चेन्नई (गहणत हवज्ञान सुंस्थान, चेन्नई; तहमल नाड हवज्ञान मुंच) प्रा. इुं द्राणी दत्ता, गवािाटी (प्राध्यापक, कॉटन हवश्वहवद्यालय, गवािाटी) प्रा. वी. वसुंती दे वी, चेन्नई (भूतपूवि कलगरू, एम. एस. हवश्वहवद्यालय, तहमल नाड; हिलिाल अध्यक्ष, स्कूली हशक्षा सुंरक्षण आुं दोलन, तहमल नाड) मई दिवस (1 मई) के सम्मान में कोरोना महामारी और उसकी वजह से हुए बहुआयामी सामादजक-आदथिक िे शव्यापी भारी नुकसान से जूझने हेतु कोष जुटाने के दिए िे श के सबसे िौितमंि एक फीसि िोगों पर '2% आपात्कािीन कोरोना कर' िगाने की प्रधानमंत्री से अपीि प्रति, प्रधानमंत्री, भारि सरकार नई तिल्ली 14 अप्रैल 2020 को राष्ट्र के नाम तकए गए अपने सं बोधन में आपने िे शव्यापी िालाबंिी (लॉकडाऊन) को 3 मई िक आगे बढाने एलान तकया। आपका िकक था तक िालाबंिी की वजह से अब िक कोरोनावायरस की महामारी के फैलाव पर तनयं त्रण करना मुमतकन हो पाया है लेतकन अंििः इसको हराने के तलए िालाबंिी को आगे बढाना ज़रूरी है । आपने लोगों को और अतधक 'संयम, तपस्या और त्याग' करने का आव्हान भी तिया था। 1 राहत पैकेज : अपयािप्त और आधा-अधूरा लेतकन आपने न िो इस संबोधन में और न ही अपने तपछले संबोधनों में एक बार भी उन लाखों लोगों का तज़क्र तकया जो िालाबंिी की वजह से अचानक अपने रोज़गार खो बैठे हैं और आज भु खमरी के कगार पर हैं । इनमें से ज़्याििर लोग असंगतठि क्षेत्र के हैं जो िे श के कामगारों (यानी उत्पािक वगक) का 93% हैं । इनमें से बडी सं ख्या, लगभग 14 करोड िक, उन लोगों की है जो िू र-िराज के गावों से आए प्रवासी मज़िू र हैं । जब पहली िालाबंिी का एलान तकया गया था िब 24 माचक की आधी राि को रे लगातडयां , बसें और ट्र कें बंि करने के पहले केवल 4 घंट्े से कम समय का नोतट्स तिया गया था तजसमें उनके तलए अपना सामान बां धना, घर जाने के तलए पैसों का इं िजाम करना और कोई भी सावकजतनक वाहन पकडना नामुमतकन था। इस पृष्ठभूतम में इिनी बडी िािाि में कामगारों के तलए 26 माचक को आपकी सरकार के द्वारा तजस राहि पै केज का एलान तकया गया वह तनहायि अपयाक प्त व आधा-अधूरा था। संतवधान के अनुच्छेि 21 के मुिातबक केंरीय और राज्य/यू.ट्ी. सरकारों की जवाबिे ही है तक वे बेरोजगार तकए गए कामगारों, चाहे वे संगतठि क्षेत्र के हों या असंगतठि क्षेत्र के, िालाबंिी और उसके बाि भी 'सम्मानजनक जीवन' जीने के तलए उनकी सभी ज़रूरिों को – महज़ िो-समय का भोजन नहीं – पूरा करें । लेतकन, आपकी सरकार ने महामारी के फैलाव को धीमा करने के नाम पर खचक कम करने के तलए आनन-फानन में बगैर तकसी योजनाबद्ध िरीके से िालाबंिी को लागू कर तिया। इसके चलिे िे श की पूरी अथकव्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गई और िे श के तवतभन्न राज्यों के प्रवासी मज़िू रों में अतनतिििा और भय फैल गया। कोरोना परीक्षण (टे स्टं ग) : 'साविजदनक जनस्वास्थ्य व्यव्था' को पुनजीदवत करने की चुनौती आपने 14 अप्रैल के अपने संबोधन में कोतवड-19 के मरीजों के तलए शहरी इलाकों में तपछले कुछ हफ़्ों में अतिररक्त मेतडकल सुतवधाएं िे ने का तज़क्र ज़रूर तकया था। लेतकन, शहरी व ग्रामीण और साथ ही िू रिराज़ के आतिवासी इलाकों में 'सावक जतनक जनस्वास्थ्य व्यवस्था' तनहायि कम खचक और अनिे खी के चलिे पूरी िरह बिहाल हो चुकी है । हमारा मानना है तक इस बिहाली की वजह से ही आपकी सरकार कोरोनावायरस के पीतडिों के परीक्षण (ट्े स्टं ग) का िायरा बढा नहीं रही है (27 अप्रै ल को परीक्षण की िर प्रति लाख लोगों पर महज़ 48.2 थी; इसी वजह से िु तनया के 173 मुल्ों में परीक्षण िर के तहसाब से भारि 142वें पायिान पर था )। उपरोक्त संबोधन में 'सावकजतनक जनस्वास्थ्य व्यवस्था' पर सरकारी खचक बढाने के मुद्दे पर आपकी खामोशी समझ के परे है । िरअसल, िे श को कोरोनावायरस परीक्षण (ट्े स्टं ग) के आधार पर पहचाने गए अतधक बीमारी वाले इलाकों को तज़ला-स्तर पर तचस्िि करने की सोची-समझी रणनीति की ज़रूरि है िातक इन इलाकों पर फोकस तकया जा सके और परीक्षण तकट् की कमी के बावजूि उनका कारगर इस्ते माल हो सके। सफलिा की कुंजी जनिा का तवश्वास पाने व सहभातगिा में है न तक खौफ व िं ड का माहौल खडा करने में, जैसातक आज हो रहा है । चूंतक कोरनट्ाइन, अलग-थलग रखने (आइसोलेशन) और इलाज की पयाक प्त सुतवधाएं मौजूि नहीं हैं , इसतलए प्राथतमक स्वास्थ्य केंरों व उप-केंरों के स्तर पर 'सामुिातयक अलग-थलग (आइसोलेशन) केंरों' की सुतवधाएं खडी करना आज की प्राथतमकिा है । तसफक उिीं मरीज़ों को अस्पिाल भेजना चातहए तजिें उस िरह के सां स्थातनक इं िजाम की ज़रूरि हो। आज सरकार का पूरा ध्यान केवल अस्पिालों पर है जबतक तजसे 'राष्ट्रीय स्वास्थ्य तमशन' के पूरे ढां चे को मजबूि करने पर फोकस करने की िात्कातलक ज़रूरि है । कोरोना महामारी की घेराबंिी (कंट्े नमेंट्) 2 करने के तलए समुिाय से और ज़्यािा लोगों को प्रतशतक्षि करना लाज़मी है िातक उन सब लोगों को तचस्िि तकया जा सके जो संक्रतमि लोगों के संपकक में आ चुके हैं और तफर उनका जल्द-से -जल्द कोरोनावायरस-परीक्षण तकया जाए, चाहे वे बगैर लक्षणों के क्ों न हों। ज़ातहर है तक िालाबंिी महामारी के फैलाव को धीमा कर सकिी है बशिे तक हम सं पकों को तचस्िि करने और उनका परीक्षण करने का काम योजनाबद्ध िौरिरीकों व सिककिा से करें । अगर ऐसा नही ं दकया गया तो तािाबंिी ने जो मौका दिया है वह बबािि हो जाएगा। अखबारों की रपट्ों से पिा चल रहा है तक आपकी सरकार िालाबंिी में चरणवार ढील िे ने पर तवचार कर रही है । लेतकन, समानां िर परीक्षण, संपकों को तचस्िि करने, कोरनट्ाइन, अलग-थलग रखने और समथकक इलाज की प्रतक्रया नहीं अपनाई गई िो योजना-तवहीन ढील िे ने की वजह से कोरोना महामारी तफर एक बार तसर उठाने का मौका पा जाएगी। हम जोर िे कर कहना चाहिे हैं तक तािाबंिी अपने-आप में कोई इिाज नही ं है वरन् यह तादकिक व योजनाबद्ध किम उठाने का महज़ मौका है । वैतश्वक िज़ुबे (चीन, न्यू ज़ीलैंड और ितक्षण कोररया) से साफ है तक वायरस को तनयंतत्रि करने और हराने का एकमात्र िरीका परीक्षण को कई गुना बढाना है िातक सभी कोरोनावायरस पीतडिों को तचस्िि तकया जा सके, चाहे लक्षण हों या न हों, तजसके बाि कोरनट्ाइन और/या अलग-थलग करने और अगर उनके स्वास्थ्य में तगरावट् आ रही हो, िो उनके तलए समथकक इलाज का इं िज़ाम करने में है । ज़ातहर है तक, आपकी सरकार के पास 'सावकजतनक जनस्वास्थ्य व्यवस्था' पर तकए जा कहे खचक में भारी बढोत्तरी करने के अलावा और कोई िातककक तवकल्प नहीं बचा है । कोरोना महामारी-संबंदधत बजट से गायब प्रावधान : राजनीदतक प्राथदमकताओं को बििने की ज़रूरत सावकजतनक जनस्वास्थ्य व्यवस्था को पुनजीतवि करने के मायने हैं तक, विक मान प्रवाधान के अलावा, सकल राष्ट्रीय उत्पाि (जीडीपी) का कम-से-कम 1.5% यानी लगभग रु. 3.4 लाख करोड खचक करने का प्रावधान खडा तकया जाए। गौरिलब है तक िे श के अस्पिालों में उपलब्ध कुल तबस्तरों के िो-तिहाई तबस्तर और 80 फीसिी वेंट्ीलेट्र तनजी क्षेत्र में हैं जबतक वहां कोतवड-19 के गंभीर मरीजों में से महज़ 10 फीसिी का इलाज हो रहा है । आपकी सरकार की संतवधान के अनुच्छेि 21 (सम्मानजनक जीवन जीने का हक) के िहि जवाबिे ही है तक वह सभी तनजी अस्पिालों, नतसिंग होम और तनजी परीक्षण प्रयोगशालाओं – डॉक्टरों व पूरे टाफ समेि – को िुरंि अपने तनयंत्रण में कर ले िातक िे श पूरी क्षमिा के साथ कोतवड-19 महामारी से िात्कातलक और पयाक प्त रूप से जूझ सके व उसे हरा सके। अगर िालाबंिी में धीरे -धीरे ढील भी िी जािी है िो भी उसकी वजह से खडा हुआ आतथकक संकट्, खाद्य असुरक्षा और इससे भी ज्यािा महत्वपूणक, बेरोज़गारी का सामना जनिा आनेवाले कई महीनों िक करिी रहे गी। आपकी सरकार की यह सवैंधातनक जवाबिे ही है तक पूरे िे श में बेरोज़गार कर तिए गए लोगों के पररवारों को कम-से - कम आवश्यक राशन की सामग्री और अन्य ज़रूरिों के साथ-साथ रु. 4,000/- प्रति पररवार (लगभग 20 करोड पररवार) सुतनतिि करने का पु ख़्ता इं िजाम करे , चाहे उनके पास राशन काडक हो या न हो। यति यह सहायिा कम-से-कम िो महीने िक िी गई िो सरकार के तलए इसका खचक लगभग रु. 2.4 लाख करोड होगा। 3 इसके अलावा, जब िक अथकव्यवस्था नहीं सुधरिी और शहरों में रोज़गार नहीं है , िब िक आपकी सरकार को आगामी कई महीनों के तलए 'महात्मा गां धी राष्ट्रीय रोज़गार गारं ट्ी अतधतनयम' ('मनरे गा') के िहि रोज़गार का प्रावधान बढाना पडे गा। साथ में, आपकी सरकार को शुरूआिी चरण में कम-से -कम छोट्े शहरों/कस्ों में भी 'मनरे गा' की िज़क पर 'शहरी रोज़गार गारं ट्ी स्कीम' लागू करनी होगी। इस सबके मायने हैं तक आपकी सरकार को प्रस्तातवि राहि पै केज़ में भारी बढोत्तरी करनी होगी – विकमान रु. 1.7 लाख करोड (तजसमें से लगभग आधी रातश बजट् में तकए गए पूवक प्रावधान को महज़ नए नाम से पेश की गई है ) को बढाकर कम-से -कम रु.10 लाख करोड करना होगा। िौितमंि महा-अमीरों को आव्हान : 'संयम, तपस्या और त्याग' और संदवधान का पािन करो! आपकी सरकार उपरोक्त ज़रूरी धन का इं िजाम बेहि आसानी से िे श के महा-अमीरों की िौलि पर 'आपात्कालीन कोरोना कर' लगाकर कर सकिी है । 'ऑक्सफैम' और 'क्रेतडट् सुइस' (वैश्वक बाज़ार पर नज़र रखनेवाले संगठन) की ररपोट्ों के अनुसार सन् 2019 में भारि के सबसे अतधक िौलिमंि एक फीसि लोगों के पास कुलतमलाकर रु. 381 लाख करोड की िौलि थी। अगर यह मानकर चला जाए तक उस िौलि में एक साल के िौरान 25 फीसिी की बढोत्तरी हुई है िो सन् 2020 में इसकी कीमि बढकर रु. 476 लाख करोड हो गई होगी। यति इन महा-अमीरों की िौलि पर आपात्कालीन किम बिौर 2% 'आपात्कालीन कोरोना कर' लगाया जाए िो आपकी सरकार को रु. 9.5 लाख करोड का अतिररक्त राजस्व तमल जाएगा जो तक उपरोक्त सुझाए गए सभी कायकक्रमों को लागू करने के तलए पयाक प्त सातबि होगा। िे श के महा-अमीरों पर 2% 'आपात्कालीन कोरोना कर' के उपरोक्त प्रस्ताव का तनिे श सं तवधान के अनुच्छेि 38(2) में तिया गया है - "आमिनी की गैर-बराबररयों को न्यूनिम तकया जाए"; और अनुच्छेि 39(ग) - "[सुतनतिि तकया जाए] . . . अथकव्यवस्था ऐसी न हो तक िौलि का सं केंरण हो . . ." । इसतलए, हमारे प्रस्ताव को स्वीकार कर आप केवल संवैधातनक आिे शों का तक्रयावयनयन करें गे तजसके चलिे आपने 14 अप्रै ल को अपने संबोधन में बाबासाहे ब डॉ. अंबेडकर को उनकी जयं िी पर "हम, भारि के लोग" की ओर से जो श्रृद्धां जतल िी थी उसकी तवश्वसनीयिा बढ जाएगी। हम आपका ध्यान एक बार तफर आपके 14 अप्रैल के संबोधन की ओर आकतषकि करना चाहिे हैं तजसमें आपने िे श के सभी नागररकों को कोरोनावायरस महामारी को हराने के तलए 'संयम, तपस्या और त्याग' बरिने का आव्हान तिया था। शायि इसी आव्हान से प्रभातवि होकर आपके तवत्त मंत्रालय ने केंरीय सरकार के कमकचाररयों के महं गाई भत्ते और केंरीय सरकार के पेंशन-भोतगयों की महं गाई राहि को 18 माह के तलए रोकने का फैसला तलया और साथ में सभी कमकचाररयों के वेिन में से एक साल के तलए हर माह एक तिन का वेिन काट्ने का भी। हमारा यह मानना गलि िो नहीं होगा तक आपका उपरोक्त आव्हान िे श के सबसे िौलिमंि एक फीसि महा- अमीरों पर भी लागू होिा है चूंतक वे भी िो भारि के नागररक हैं । लेतकन जैसातक इस यातचका से ज़ातहर है तक आपका आव्हान केवल तवशाल असं गतठि क्षेत्र के मजिू रों, तनम्न मध्यम वगों और सरकारी कमकचाररयों पर ही लागू होिा है जो तक िे श के 85% से ज़्यािा हैं । िरअसल, कोई वजह नहीं है तक आपकी सरकार उपरोक्त महा-अमीरों (अरबपतियों व खरबपतियों) से भी अपनी िौलि का महज़ 2% िे कर िे श में फैल रही कोरोना महामारी को हराने और उससे उत्पन्न सामातजक- 4 आतथकक तवपिा से जूझने के तलए त्याग करने को न कहे (केंरीय सरकारी कमकचाररयों को महं गाई भत्ते का घाट्ा उठाने के अलावा अपनी वातषकक आमिनी में से 3% का त्याग करने के तलए कहा गया है !)। आस्खरकार, महा- अमीरों ने जो तवशाल िौलि इक्टठी की है वह अवाम की "भौंह के पसीने " की कमाई से ही तनकली है । "भौंह के पसीने " की अतभव्यस्क्त को सन् 1882 में महात्मा जोतिराव फुले ने तितट्श साम्राज्य द्वारा अवाम से इक्टठे तकए गए राजस्व का इस्तेमाल उच्च वगों और उच्च जातियों के फायिे के तलए करने की नीति के सं िभक में गढा था। हम, अधोहस्ताक्षररत, आपसे अपीि करते हैं दक िे श के सबसे िौितमंि एक फीसि िोगों पर 2% 'आपात्कािीन कोरोना कर' तत्काि प्रभाव से िगाया जाए और उससे प्राप्त अदतररक्त राजस्व को आपकी सरकार द्वारा घोदषत अपयािप्त व आधे-अधूरे राहत पैकेज को कम-से-कम रु. 10 िाख करोड़ तक बढाने के दिए दकया जाए तादक ऊपरोक्त प्रस्तादवत सभी किम समग्र नज़ररए व वैज्ञादनक ढं ग से उठाकर िे श के सामने कोरोनावायरस महामारी की वजह से खड़े हुए संदवधान व इं सादनयत के संकट से सफितापूविक जूझा जा सके। ■ 5
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