Page 1 PDF Name Bajarang Baan Hindi Number of pages 8 PDF Category Hindu Devotional PDF Language Hindi Writer N.A. PDF Updated 24 jan 2024 PDF Size 1.65 MB Design and Uploaded by https://hanumanchalisapdf4u.com/ बजरंग बान लीररक्स हिन्दी PDF Index Table Page 2 ॥ दोिा ॥ निश् चय प्र े म प्र तीनत ते, बििय करैं सिमाि। तेहि क े कारज सकल शुभ, ससद् ध करैं ििुमाि॥ ॥ चौपाई ॥ जय ििुमन् त सन् त हितकारी। सुि लीजै प्र भु अरज िमारी।। जि क े काज विलम्ि ि कीजै। आतुर दौरर मिासुख दीजै।। जैसे क ू हद ससन् धु महि पारा। सुरसा िदि पैहि विस् तारा।। आगे जाई लंककिी रोका। मारेिु लात गई सुर लोका।। जाय विभीषण को सुख दीन् िा। सीता निरखख परमपद लीन्िा।। बजरंग बान लीररक्स हिन्दी Page 3 िाग़ उजारर ससन् धु मिँ िोरा। अनत आतुर जमकातर तोरा।। अक्ष यक ु मार को मारर संिारा। लूम लपेट लंक को जारा।। लाि समाि लंक जरर गई। जय जय धुनि सुरपुर में भई।। अि विलम्ि क े हि कारण स् िामी। कृपा करिु उर अन् तयाामी।। जय जय लक्ष्मण प्र ाण क े दाता। आतुर िोय दुख िरिु निपाता।। जै गगररधर जै जै सुखसागर। सुर समूि समरथ भटिागर।। ॐ ििु ििु ििुमंत ििीले। िैररहिंंं मारु िज्र की कीले।। बजरंग बान लीररक्स हिन्दी Page 4 गदा िज्र लै िैररहिं मारो। मिाराज प्र भु दास उिारो।। ऊ ँ कार िुंकार प्र भु धािो। िज्र गदा ििु विलम् ि ि लािो।। ॐ ह् ीं ह् ीं ह् ीं ििुमंत कपीसा। ऊ ँ िुं िुं िुं ििु अरर उर शीशा।। सत् य िोिु िरर शपथ पाय क े । रामदूत धरु मारु जाय क े ।। जय जय जय ििुमन् त अगाधा। दुुः ख पाित जि क े हि अपराधा।। पूजा जप तप िेम अचारा। िहिं जाित िौं दास तुम् िारा।। िि उपिि, मग गगररगृि मािीं। तुम् िरे िल िम डरपत िािीं।। बजरंग बान लीररक्स हिन्दी Page 5 पांय परों कर जोरर मिािौं। यहि अिसर अि क े हि गोिरािौं।। जय अंजनिक ु मार िलिन् ता। शंकरसुिि िीर ििुमन् ता।। िदि कराल काल क ु ल घालक। राम सिाय सदा प्र नतपालक।। भूत प्र े त वपशाच निशाचर। अग्नि िेताल काल मारी मर।। इन् िें मारु तोहिं शपथ राम की। राखु िाथ मरजाद िाम की।। जिकसुता िररदास किािौ। ताकी शपथ विलम्ि ि लािो।। जय जय जय धुनि िोत अकाशा। सुसमरत िोत दुसि दुुः ख िाशा।। चरण शरण कर जोरर मिािौ। यहि अिसर अि क े हि गोिरािौं।। बजरंग बान लीररक्स हिन्दी Page 6 उिु उिु चलु तोहि राम दुिाई। पांय परों कर जोरर मिाई।। ॐ चं चं चं चं चपत चलंता। ऊ ँ ििु ििु ििु ििु ििुमन् ता।। ऊ ँ िँ िँ िांक देत कवप चंचल। ऊ ँ सं सं सिसम परािे खल दल।। अपिे जि को तुरत उिारो। सुसमरत िोय आिन् द िमारो।। यि िजरंग िाण जेहि मारै। ताहि किो किर कौि उिारै।। पाि करै िजरंग िाण की। ििुमत रक्ष ा करै प्र ाण की।। यि िजरंग िाण जो जापै। ताते भूत प्र े त सि काँपै।। धूप देय अरु जपै िमेशा। ताक े ति िहिं रिै कलेशा।। बजरंग बान लीररक्स हिन्दी Page 7 ॥ दोिा ॥ प्र े म प्र तीतहि कवप भजै, सदा धरैं उर ध् याि। तेहि क े कारज सकल शुभ, ससद् घ करैं ििुमाि।। बजरंग बान लीररक्स हिन्दी