https://pdf - txt.com/ Page 1 PDF Name Shri Vishnu Chalisa PDF Number of pages 10 PDF Category Hindu Devotional PDF Language Hindi Writer N.A. PDF Updated August, 12 2023 PDF Size 1.5 MB Design and Uploaded by https://pdf - txt.com/ श्र ी विष् णु चालीसा हिन् दी PDF PDF Index Table https://pdf - txt.com/ Page 2 ॥ दोिा ॥ विष् णु सुनिए वििय सेिक की चितलाय। कीरत क ु छ िणणि कर ूं दीजै ज्ञ ाि बताय। ॥ चौपाई ॥ िमो विष् णु भगिाि खरारी। कष्ट िशािि अखखल बबहारी॥ प्र बल जगत में शक् तत तुम् हारी। बिभुिि फ ै ल रही उक् जयारी॥ सुन् दर रप मिोहर सूरत। सरल स् िभाि मोहिी मूरत॥ श्र ी विष् णु चालीसा हिन् दी PDF https://pdf - txt.com/ Page 3 ति पर पीताूंबर अनत सोहत। बैजन्ती माला मि मोहत॥ शूंख िक्र कर गदा बबराजे। देखत दैत् य असुर दल भाजे॥ सत्य धमण मद लोभ ि गाजे। काम क्र ोध मद लोभ ि छाजे॥ सूंतभतत सज्जि मिरूंजि। दिुज असुर दुष् टि दल गूंजि॥ सुख उपजाय कष् ट सब भूंजि। दोष ममटाय करत जि सज्जि॥ श्र ी विष् णु चालीसा हिन् दी PDF https://pdf - txt.com/ Page 4 पाप काट भि मसूंधु उतारण। कष्ट िाशकर भतत उबारण॥ करत अिेक रप प्र भु धारण। क े िल आप भक्तत क े कारण॥ धरखण धेिु बि तुमहहूं पुकारा। तब तुम रप राम का धारा॥ भार उतार असुर दल मारा। रािण आहदक को सूंहारा॥ आप िराह रप बिाया। हरण्याक्ष को मार चगराया॥ श्र ी विष् णु चालीसा हिन् दी PDF https://pdf - txt.com/ Page 5 धर मत् स् य ति मसूंधु बिाया। िौदह रतिि को निकलाया॥ अममलख असुरि द् िूंद मिाया। रप मोहिी आप हदखाया॥ देिि को अमृत पाि कराया। असुरि को छवि से बहलाया॥ क ू मण रप धर मसूंधु मझाया। मूंद्र ािल चगरर तुरत उठाया॥ शूंकर का तुम फन् द छ ु डाया। भस् मासुर को रप हदखाया॥ श्र ी विष् णु चालीसा हिन् दी PDF https://pdf - txt.com/ Page 6 िेदि को जब असुर डुबाया। कर प्र बूंध उन् हें ढूूंढिाया॥ मोहहत बिकर खलहह ििाया। उसही कर से भस्म कराया॥ असुर जलूंधर अनत बलदाई। शूंकर से उि कीन्ह लडाई॥ हार पार मशि सकल बिाई। कीि सती से छल खल जाई॥ सुममरि कीि तुम् हें मशिरािी। बतलाई सब विपत कहािी॥ श्र ी विष् णु चालीसा हिन् दी PDF https://pdf - txt.com/ Page 7 तब तुम बिे मुिीश् िर ज्ञ ािी। िृन् दा की सब सुरनत भुलािी॥ देखत तीि दिुज शैतािी। िृन् दा आय तुम् हें लपटािी॥ हो स् पशण धमण क्ष नत मािी। हिा असुर उर मशि शैतािी॥ तुमिे ध्र ु ि प्र हलाद उबारे। हहरणाक ु श आहदक खल मारे॥ गखणका और अजाममल तारे। बहुत भतत भि मसन् धु उतारे॥ श्र ी विष् णु चालीसा हिन् दी PDF https://pdf - txt.com/ Page 8 हरहु सकल सूंताप हमारे। कृपा करहु हरर मसरजि हारे॥ देखहुूं मैं निज दरश तुम् हारे। दीि बन् धु भतति हहतकारे॥ िहत आपका सेिक दशणि। करहु दया अपिी मधुसूदि॥ जािूूं िहीूं योग् य जप पूजि। होय यज्ञ स् तुनत अिुमोदि॥ शीलदया सन् तोष सुलक्ष ण। विहदत िहीूं व्र तबोध विलक्षण॥ श्र ी विष् णु चालीसा हिन् दी PDF https://pdf - txt.com/ Page 9 करहुूं आपका ककस विचध पूजि। क ु मनत विलोक होत दुख भीषण॥ करहुूं प्र णाम कौि विचधसुममरण। कौि भाूंनत मैं करहु समपणण॥ सुर मुनि करत सदा सेिकाई। हवषणत रहत परम गनत पाई॥ दीि दुखखि पर सदा सहाई। निज जि जाि लेि अपिाई॥ पाप दोष सूंताप िशाओ। भि - बूंधि से मुतत कराओ॥ श्र ी विष् णु चालीसा हिन् दी PDF https://pdf - txt.com/ Page 10 सुख सूंपवि दे सुख उपजाओ। निज िरिि का दास बिाओ॥ निगम सदा ये वििय सुिािै। पढै सुिै सो जि सुख पािै॥ श्र ी विष् णु चालीसा हिन् दी PDF