https://pdf - txt.com/ Page 1 PDF Name Durga Chalisa Lyrics PDF Number of pages 8 PDF Category Hindu Devotional PDF Language Hindi Writer Gulshan Kumar PDF Updated September 4, 2023 PDF Size 1.06 MB Design and Uploaded by https://pdf - txt.com/ दुर् गा चगलीसग लीरिक् स PDF Index Table https://pdf - txt.com/ Page 2 नमो नमो दुर्ग े सुख करनी। नमो नमो दुर्ग े दुुः ख हरनी॥ ननरंकार है ज् योनि िुम् हारी। निहं लोक फ ै ली उजियारी॥ शशश ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृक ु टट विकराला॥ रू प मािु को अधिक सुहािे। दरश करि िन अनि सुख पािे॥ िुम संसार शजति लै कीना। पालन हेिु अन् न िन दीना॥ दुर् गा चगलीसग लीरिक् स https://pdf - txt.com/ Page 3 अन् नपर् ाा हुई िर्ग पाला। िुम ही आटद सुन् दरी बाला॥ प्र लयकाल सब नाशन हारी। िुम र्ग ौरी शशिशंकर प् यारी॥ शशि योर्ग ी िुम् हरे र्ग ु र् र्ग ािें। ब्र ह् मा विष् र् ु िुम् हें ननि ध् यािें॥ रू प सरस् ििी को िुम िारा। दे सुबुद् धि ऋवि मुननन उबारा॥ िरयो रू प नरशसंह को अम्बा। परर्गट भई फाड़कर खम्बा॥ रक्षा करर प्र ह् लाद बचायो। टहरण्याक्ष को स् िर्गा पठायो॥ दुर् गा चगलीसग लीरिक् स https://pdf - txt.com/ Page 4 लक्ष्मी रू प िरो िर्ग माहीं। श्र ी नारायर् अंर्ग समाहीं॥ क्ष ीरशसन् िु में करि विलासा। दयाशसन् िु दीिै मन आसा॥ टहंर्ग लाि में िुम् हीं भिानी। मटहमा अशमि न िाि बखानी॥ मािंर्ग ी अरु िमािनि मािा। भुिनेश् िरी बर्ग ला सुख दािा॥ श्र ी भैरि िारा िर्ग िाररर्ी। निन् न भाल भि दुुः ख ननिाररर् ी॥ क े हरर िाहन सोह भिानी। लांर्ग ु र िीर चलि अर्ग िानी॥ दुर् गा चगलीसग लीरिक् स https://pdf - txt.com/ Page 5 कर में खप्पर खड्र्ग विरािै। िाको देख काल डर भािै॥ सोहै अस् त्र और त्र त्र शला। िािे उठि शत्र ु टहय शला॥ नर्ग रकोट में िुम् हीं विरािि। निहुंलोक में डंका बािि॥ शुंभ ननशुंभ दानि िुम मारे। रतिबीि शंखन संहारे॥ मटहिासुर नृप अनि अशभमानी। िेटह अघ भार मही अक ु लानी॥ रू प कराल काशलका िारा। सेन सटहि िुम निटह संहारा॥ परी र्ग ाढ़ संिन पर िब िब। भई सहाय मािु िुम िब िब॥ दुर् गा चगलीसग लीरिक् स https://pdf - txt.com/ Page 6 अमरपुरी अरु बासि लोका। िब मटहमा सब रहें अशोका॥ ज् िाला में है ज् योनि िुम् हारी। िुम् हें सदा प िें नर - नारी॥ प्र े म भजति से िो यश र्ग ािें। दुुः ख दाररद्र ननकट नटहं आिें॥ ध् यािे िुम् हें िो नर मन लाई। िन्म - मरर् िाकौ ि ु टट िाई॥ िोर्ग ी सुर मुनन कहि पुकारी। योर्ग न हो त्र बन शजति िुम् हारी॥ शंकर आचारि िप कीनो। काम अरु क्र ोि िीनि सब लीनो॥ दुर् गा चगलीसग लीरिक् स https://pdf - txt.com/ Page 7 ननशशटदन ध् यान िरो शंकर को। काहु काल नटहं सुशमरो िुमको॥ शजति रू प का मरम न पायो। शजति र्ग ई िब मन पनििायो॥ शरर् ार्ग ि हुई कीनिा बखानी। िय िय िय िर्गदम्ब भिानी॥ भई प्र सन्न आटद िर्गदम्बा। दई शजति नटहं कीन विलम्बा॥ मोको मािु कष् ट अनि घेरो। िुम त्र बन कौन हरै दुुः ख मेरो॥ आशा िृष् र् ा ननपट सिािें। ररप मुरख मौही डरपािे॥ दुर् गा चगलीसग लीरिक् स https://pdf - txt.com/ Page 8 शत्र ु नाश कीिै महारानी। सुशमरौं इकधचि िुम् हें भिानी॥ करो कृपा हे मािु दयाला। ऋद्धि - शसद् धि दै करहु ननहाला। िब लधर्ग जिऊ ं दया फल पाऊ ं । िुम् हरो यश मैं सदा सुनाऊ ं ॥ दुर्ग ाा चालीसा िो कोई र्ग ािै। सब सुख भोर्ग परमपद पािै॥ देिीदास शरर् ननि िानी। करहु कृपा िर्ग दम् ब भिानी॥ ॥ इति श्र ी दुर् गा चगलीसग सम् पूर् ा ॥ दुर् गा चगलीसग लीरिक् स