https://pdf - txt.com/ Page 1 PDF Name हनुमान अष् टक हहन् दी Number of pages 5 PDF Category Hindu Devotional PDF Language हिन्दी Writer N.A. PDF Updated OCTOBER, 31, 2023 PDF Size 1.65 MB Design and Uploaded by https://pdf - txt.com/ हनुमान अष् टक हहन् दी PDF Index Table https://pdf - txt.com/ Page 2 ॥ हनुमानाष् टक ॥ बाल समय रबब भक्ष ि ललयो तब, तीनिुं लोक भयो अुंधियारो । ताहि सों त्र ास भयो जग को, यि सुंकट काि सों जात न टारो ॥ देवन आन करर बबनती तब, छाुंड़ि हदयो रबब कष्ट ननवारो । को नहिुं जानत िै जग में कपि, सुंकटमोचन नाम नतिारो ॥ बालल की त्र ास किीस बसै धगरर, जात मिाप्र भ िुंथ ननिारो । चौं कक मिा मनन शाि हदया तब, चाहिय कौन बबचार बबचारो ॥ क े द् पवज रू ि ललवाय मिाप्र भ, सो तम दास क े शोक ननवारो । को नहिुं जानत िै जग में कपि, सुंकटमोचन नाम नतिारो ॥ अुंगद क े सुंग लेन गये लसय, खोज किीस यि बैन उचारो । जीवत ना बधचिौ िम सो ज, बबना सधि लाय इिााँ िग िारो ॥ हनुमान अष् टक हहन् दी https://pdf - txt.com/ Page 3 िेरर थक े तट लसुंि सबै तब, लाय लसया - सधि प्र ाण उबारो । को नहिुं जानत िै जग में कपि, सुंकटमोचन नाम नतिारो ॥ रावन त्र ास दई लसय को सब, रािलस सों कहि शोक ननवारो । ताहि समय िनमान मिाप्र भ, जाय मिा रजनीचर मारो ॥ चाित सीय अशोक सों आधग स, दै प्र भ महिका शोक ननवारो । को नहिुं जानत िै जग में कपि, सुंकटमोचन नाम नतिारो ॥ बाण लग् यो उर लनछमन क े तब, प्र ाण तजे सत रावण मारो । लै गृि बैद् य सषेन समेत, तबै धगरर िोण स बीर उिारो ॥ आनन सजीवन िाथ दई तब, लनछमन क े तम प्र ाण उबारो । को नहिुं जानत िै जग में कपि, सुंकटमोचन नाम नतिारो ॥ रावण यद् ि अजान ककयो तब, नाग कक फाुंस सबै लसर डारो । श्र ीरघनाथ समेत सबै दल, मोि भयोयि सुंकट भारो ॥ हनुमान अष् टक हहन् दी https://pdf - txt.com/ Page 4 आनन खगेस तबै िनमान ज, बुंिन काहट सत्र ास ननवारो । को नहिुं जानत िै जग में कपि, सुंकटमोचन नाम नतिारो ॥ बुंि समेत जबै अहिरावन, लै रघनाथ िाताल लसिारो । देबबहिुं िूजज भली बबधि सों बलल, देउ सबै लमनत मुंत्र बबचारो ॥ जाय सिाय भयो तब िी, अहिरावण सैन् य समेत साँिारो । को नहिुं जानत िै जग में कपि, सुंकटमोचन नाम नतिारो ॥ काज ककये ब़ि देवन क े तम, वीर मिाप्र भ देखख बबचारो । कौन सो सुंकट मोर गरीब को, जो तमसों नहिुं जात िै टारो ॥ बेधग िरो िनमान मिाप्र भ, जो कछ सुंकट िोय िमारो । को नहिुं जानत िै जग में कपि, सुंकटमोचन नाम नतिारो ॥ हनुमान अष् टक हहन् दी https://pdf - txt.com/ Page 5 ॥ दोहा ॥ लाल देि लाली लसे, अरु िरर लाल लुंगूर । वज्र देि दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ॥ हनुमान अष् टक हहन् दी