जम नी क िह ी पि का July 2022 28 मई को Erlangen क सं ा Durgaville न े कोबी गु रवी ं नाथ टैगोर क 161 वी ं जयंती को बड़े जोश और समप ण से मनाया। ूिनक ं ं के महावा ण दत ू ावास से ी हरिवदर सह जी ने काय म का आ ान िकया। अनेक ितभािगयो ं ने रवी ं नाथ टैगोर जी अनेक रचनाओ , ं जैसे नाटक , किवता , संगीत पर कला मंच पर ुित दी। काय म म लगभग ं 120 समथ क और शुभ चतक शािमल ए। ानीय भारतीय रे रा ं ' संगम ' न े ािद राि - भोज उपल करवाया। ुिनक म रह रहे संगीतकार िनषाद फाटक , जो पेशे से इंजीिनयर और िडज़ाइनर ह , जम नी म रह रहे भारतीयो ं के ब ो ं म पूरब और प म के बीच सां ृितक अंतर को पाटने क ि के साथ संगीत के मा म से िपछले 3 वष से िनयिमत प से काम कर रहे ह । जम नी म पल रहे भारतीयो ं के ब े ाय भारतीय संगीत से कटे होते ह हालांिक जम नी के ूलो ं म संगीत के भी पा म म होते ह जहां ब े notation के साथ िव भ सगीत वा बजाना सीखते ह । िनषाद िनयिमत ब ड स ो ं क मदद से ब ो ं को उनके ूल म अ ज त िकए गए संगीत कौशल को भारतीय संदभ म ढालने और भारतीय गीतो ं को समझने म माग - दश न करते ह और ब ो ं को notation पर िनभ र रहने क बजाए केवल सुन कर बजाने का श ण देते ह । िनषाद ने अनेक ब ो ं के साथ ुिनक म िव भ ानो ं / अवसरो ं पर अनेक बार सफलतापूव क दश न िकया है , जसम भारतीय वा ण दत ू ावास (CGI Munich) और कई अ भारतीय ोहार भी समारोह शािमल ह जम नी क एकमा िह ी पि का का पहला अंक आपको ुत करते ए हम ब त स ता हो रही है। तकनीक उ ित के कारण आज भारतीय भाषाओ ं को िवक सत भाषाओ ं के साथ कदम िमला कर चलने के अवसर िमल गए ह । हमारी को शश है िक इस पि का के ारा हम जम नी म रह रहे अनेक ितभाशाली और स भारतीयो ं क कहािनयां और यहां होने वाले भारतीय काय मो ं का वण न आपके सामने ला पाएं। अगर आप भी जम नी म रह रहे एक भारतीय ह और आपके जीवन म कुछ अ ा घटा है, तो हम बताएं। िकसी भी तरह के राजनीितक या धािम क चार- चार अथवा भड़काऊ साम ी क इस पि का म कोई जगह नही ं है। आशा है िक आपको यह छोटा सा अंक पसंद आएगा जससे हम यह पि का िनयिमत प से का शत कर पाएं और इसके पृ बढ़ा पाएं। आपके रजनीश मंगला, +49-174-5306-137 रमाशँकर शमा , +91-96858-25071 िनकेत शाह Tübingen university म चिक ा उपकरण (Medizintechnik) े म ातक र क पढ़ाई कर रहे ह । उ ोन ं े 2020 म Abitur िकया जो बारहवी ं क ा क सबसे मु कल पढ़ाई है. दसवी ं क ा म उ ोन ं े pacemaker पर GFS िदया था जसके बाद चिक ा उपकरण के े म उनक च बढ़ गई. इस े म दा खला पाने के लए 1.6NC चािहए था जो आमतौर पर मु कल होता है। जम नी का चिक ा उपकरण े यूरोप म सबसे बड़ा और दि ु नया म तीसरा सबसे बड़ा है। इसका एक कारण यह भी है िक जम नी म लगभग सारे िनवा सयो ं के पास ा बीमा है और जम नी के सकल घरेलू उ ाद का लगभग 11.3% ा देखभाल पर खच होता है। इस लए जब कोई िनमा ता जम नी म एक उपकरण िवक सत करता है और उसे जम न नाग रको ं के लए बाजार म लाता है, तो उसे रोिगयो ं तक प ंचने और उनके जीवन म बदलाव लाने म स म बनाने के लए रा े मौजूद होते ह . ुिनक के गौरव ा ा Allianz म purchase म काम करते ह और शौिकया तौर पर sound system िकराए पर देत े ह । लोग छोटी मोटी पािटय ो ं से लेकर बड़े events के लए उनसे सामान िकराए पर लेते ह । उनके पास हर ेणी के लए है जसम साधारण Bluetooth speaker से लेकर high end sound system with lights, bubble machines और smoke machines ह । सामा त लोग उनके घर से सामान ले जाते ह और अगले िदन वापस कर जाते ह । उनक offers Reachaus app पर भी उपल ह । ुिनक के बारह वष य ' नमन कुंडी ' (मु पृ ) ने Friedrichshafen म 27 स े 29 मई तक ई 55 वी ं Badminton युवा ितयोिगता म U13 ेणी म doubles म ण पदक और singles म कां पदक जीता है। इस युवा ितयोिगता म दस देशो ं के ं ब ो ं ने भाग लया था। नमन के िपता गुरदीप सह कुंडी खुद भी Badminton खलाड़ी और coach रह चुके ह । नमन छठी क ा के छा ह । Nürnberg स े ि या मेनन एक भरतना म और मोिहनीअ म नृ ांगना ह वे UNESCO क International Dance Council क सद ह चार साल पहले उ ोन ं े Nürnberg म एक dance school खोला आज उनके पास छोटे बड़ो ं और भारतीयो ं और जम नो ं को िमला कर करीब चालीस श ह वे 19 जून को Fürth म अपने दम पर ' रंग - मंच ' के शीष क से नृ का एक ब त बड़ा काय म आयो जत करने जा रही ह जसम करीब साठ लोगो ं ारा आठ तरह के नृ पेश िकए जाएंगे , भरतना म , मोिहनीअ म , कथक , भांगड़ा , गरबा , म णपुरी , लावणी और गोध ं र कैसे बनी ं कोयले क खान सु र पय टक ल Bayern ांत के पूरबी े म Wackersdorf नामक छोटे से गांव के आस पास कई छोटी बड़ी सु र झील ह जहां हर साल ब त यटक घूमने आते ह . ानीय लोगो ं म भी गरिमयो ं म ये झील मौज म ी का बड़ा ोत ह . लेिकन ये झील पहले कोयले क खान आ करती थी. यहां उपल होने वाला कोयला, काला कोयला नही ं ब भूरा कोयला था, जस का ऊ ीय मान काले कोयले से कम होता है. इसे अं ेज़ी म lignite कहते ह . lignite को िबजली उ ादन के लए इ ेमाल िकया जाता था. lignite क उ ि लगभग दो करोड़ वष पहले तृतीयक म ई थी. इस े म पहली खोज 1800 के आस-पास क गई थी, और पर रागत तरीके से सुरंग खोद कर इसका खनन करने क को शश क गई. पर 1845 म लाभहीनता के कारण भूिमगत खनन ब कर िदया गया. 1900 के बाद केवल ऊपर से करीब 50 meter गहरे करीब 36 छोटे बड़े ख े खोद कर िफर से खनन शु िकया गया. lignite का खनन लगभग 1906 से ले कर 1982 तक आ. इन 76 सालो ं म करीब 18.5 करोड़ टन कोयले का खनन आ, जस से करीब 88 खरब kWh िबजली पैदा क गई. इस दौरान Wackersdorf गांव जो पहले ब त गरीब लोगो ं का गांव होता था, ब त अमीर हो गया. लगभग सभी लोग खनन company BBI म काम करते थे. 1950 के आस-पास company को लगा िक गांव के नीचे भी ब त सारा कोयला िमल सकता है, तो उसने पूरे का पूरा गांव भी थोड़ी दर ू ान त करने का फ़ ै सला कर लया. करीब 1200 िनवा सयो ं ने इसका िवरोध भी नही ं िकया ोिंक उ रोज़गार और बेहतर और शौचालय-यु घर चािहए थे. पर बाद म यह गांव िफर से वही ं मूल जगह पर ािपत कर िदया गया, और आज भी वही ं है. 1982 के बाद जब कोयला िमलना ब हो गया तो छोटे ग े तो िम ी से भर िदए गए और छह बड़े ग ो ं म पानी भर कर लगभग 650km े फल क झील बना दी ग जो आज एक ब त बड़ा पय टक ल ह . खान ब होने के बाद लोगो ं को आमदनी ख होते का भय सताने लगा और वे रोज़गार क मांग करने लगे. Bayern ांत क सरकार करीब 1979 से ही परमाणु िबजली घरो ं के कचरे को दोबारा इ ेमाल करने के लए तैयार करने के लए Bayern म एक सय (Wiederau ereitungsanlage Wackersdorf (WAA)) लगाने के लए कोई जगह ढूंढ रही थी. अ 1985 म खनन company BBI और Bayern सरकार ने िमल कर फ़ ै सला िकया िक Schwandorf के पास एक औ ोिगक गांव Wackersdorf के पास एक जंगल को काट कर यह सय तैयार िकया जाए, तािक वहां के िनवा सयो ं को दोबारा रोज़गार िमल सके. जब लोगो ं म यह समाचार फ ै ला, उस समय लोगो ं म परमाणु संय ो ं के बारे म जानकारी ब त कम थी िक ये िकतने खतरनाक हो सकते ह . Chernobyl का भी इस के बाद 1986 म आ. पर धीरे धीरे जागृित आने लगी तो लोगो ं ने इसका िवरोध करना शु िकया. तो सरकार ने लोगो ं को कहना शु िकया िक कचरा फ कने के साथ साथ Uranium क जली ई छड़ो ं को दोबारा इ ेमाल के लए भी तैयार िकया जाएगा, जस से करीब एक हज़ार रोज़गार पैदा होग ं े . पर अब तक लोग परमाणु संय ो ं के खतरो ं के बारे म पूरी तरह जागृत हो चुके थे. वे बफ़ ली सिदय ो ं म हज़ारो ं क सं ा म जगह जगह जमा हो कर िवरोध करने लगे. उनक ं police के साथ कई बार िहसा क मुठभेड़ भी ई. construction machines को बचाने के लए चारो ं ओर करीब सात kilometre ल ी और ढाई meter ऊ ं ची लोहे क छड़ो ं वाली दीवार खड़ी कर दी गई. लेिकन लोग उसे भी आ रयो ं के साथ काटने लगे. िफर दीवार के इद िगद डेढ meter क गहरी और पांच meter चौड़ी खाई खोद दी गई. लेिकन लोगो ं ने आस पास लकड़ी के घर और tower बना कर और जमे रह कर िवरोध जारी रखा. 1986 म Chernobyl का के ं बाद तो ये िवरोध और भी िहसा क हो गए. अ 1989 म इस सय को France ले जाने का फ़ ै सला आ. लेिकन तब तक एक अरब D- Mark का िनवेष हो चुका था. पर िफर भी यह लोगो ं क बड़ी जीत थी. बाद म उसी े म BMW, Senebogen के साथ और कई companies आ और उस से कही ं अ धक रोज़गार पैदा आ जस का शु म वादा िकया जा रहा था. आज यह े पय टन और ख़ुशहाली का तीक है. मेरठ िनवासी गौरव चौधरी क कहानी िकसी filmy कहानी से कम नही ं है Germany के businessman स े ल े कर UP के मेरठ के जला प ायत अ बनने तक का उनका सफ़र काफ रोमांचक है गौरव चौधरी िपछले एक दशक से Germany म अपना अ ा खासा business चला रहे थ े लेिकन कुछ समय बाद उ महसूस आ िक जो बात अपनी िम ी म है वो कही ं नही ं िफर ा , िबना सोचे गौरव मेरठ लौट आए उ हमेशा से अपने रा के लए कुछ करने क चाह थी इसी बीच गौरव चौधरी ने यह फ़ ै सला लया िक चुनाव के ज़ रए वे अपने रा के लए कुछ बेहतर कर पाएंगे जस के बाद मेरठ के ward-18 से जला प ायत सद के लए दावेदारी क जस के दौरान भाजपा म entry के साथ जला प ायत के चुनावो ं के लए ticket िमल गया उ ोन ं े चुनाव लड़ा और गौरव चौधरी जला प ायत सद बन गए भाजपा से पांच जीत हा सल करने वालो ं म से वह एक ह शिनवार को वह िनिव रोध जला प ायत अ िनवा चत हो गए बता द िक गौरव चौधरी ने अपनी पढ़ाई कु े से क . business management क पढ़ाई के लए वे Germany चले गए वहां उ ोन ं े import, export और construction का काम शु िकया िफर व े gastronomy क िदशा म चल े गए और बायरन के Oberpfalz इलाके के कई छोटे - छोटे शहरो ं म गणेश नाम के कई रे रां खोल िदए। वे अब भी जम नी के कई रे रां के मा लक ह और कभी कभार जम नी म अपने वसाय को देखने आते ह । एक अनुमान के अनुसार जम नी म लगभग तीस हज़ार भारतीय छा ह को जम न िव िव ालयो ं के स े श ा शु , पा म क लचीली अव ध , कई शोध िवक और िव िव ालयो ं क अ ित ा के कारण जम नी म अ यन करने आते ह । अ यन के साथ साथ उ िव िव ालयो ं म शोध सहायक के प म काम करने और उ ोगो ं म internship करन े के भी अवसर िमल जात े ह । जम नी के िव िव ालयो ं का अनेक कंपिनयो ं के साथ अनुसंधान और िवकास के े म सहयोग होता है। इसके अलावा जम नी का बुिनयादी ढांचा और अ े उ ोग छा ो ं को अ यन के बाद यहां नौकरी करने के लए लुभाते ह । समय समय पर होने वाले नौकरी मेलो ं म नए अवसरो ं के बारे म जानकारी िमलती रहती है। वत मान ित म अंतररा ीय छा ो ं को जम नी म दा खला पाने के लए ित वष €11,172.00 क कुल रा श को block करना होता है जो हर महीने िक तो ं म वापस कर दी जाती है। इसके अलावा खच चलाने के लए छा ो ं को गोदाम , रे रां , भोजन और िकराने क delivery कंपिनयो ं और supermarkets म अंशका लक काम िमल जाता है। बड़े शहरो ं म रहने म खच अ धक आता है , इस लए छा अ छा ो ं के साथ सांझे apartments क तलाश करते ह । कई िव िव ालयो ं म कम िकराए वाले िवशेष छा ावास भी उपल होते ह । छा ो ं को सं हालयो , ं चिड़याघरो ं जैसे अनेक ानो ं म घूमने के लए छूट भी िमलती है। जम नी म आने वाले भारतीय छा ो ं को सबसे पहले भाषा क सम ा होती है। छा ो ं को भाषा को अ तरह से सीखने और दैिनक जीवन म और काम पर इसका इ ेमाल करने म ं कई महीने या साल लग जाते ह । चंूिक वे अं ेजी और िहदी के साथ सहज होते ह , इस लए उ जम न भाषा अपनाने म समय लगता है। अ धकतर िव िव ालयो ं म जम न पा म भी उपल होता है जहां वे अपने जम न भाषा के कौशल को सुधार सकते ह । भाषा क सम ा के कारण रहने के लए स ा आवास ढूंढना भी मु कल हो जाता है। भारत म गम मौसम के अ होने के कारण यहाँ के ठंडे और बरसाती मौसम म भी उ काफ़ सम ा होती है। पर जम नी म पढ़ाई के अपने फायदे भी ह । छा ो ं को अ यन और शोध के लए िव - रीय बुिनयादी ढांचे तक प ंच ा होती है। काम या अ यन के उ े ो ं के लए यूरोपीय संघ के अ देशो ं म वेश आसानी से िमल जाता है। जैसे - जैसे जम नी म भारतीय समुदाय बढ़ रहा है , वैसे - वैसे युवा छा ो ं को अनेक काय मो ं म अ भारतीयो ं से िमलने के लए अनेक अवसर िमलते ह । भारत और जम नी के बीच सहयोग हर साल बढ़ रहा है और इससे छा ो ं को जम नी म अ यन करने और भारत म जम न कंपिनयो ं के कारोबार को बढ़ाने और भारतीय कंपिनयो ं को जम नी क नई तकनीको ं को अपनाने म मदद करने के अवसर िमलते ह । 27 मई को Walldorf म एक तुक सं ा ारा आयो जत िकए गए अंतररा ीय Kinderfest म DIFK के ब ो ं ने बॉलीवुड डांस द श त िकया। DIFK भाषा क क ाएं , भरतना म , कना टक संगीत , बॉलीवुड , योग , ि केट आिद कई गितिव धयां आयो जत करती है। Scheinfeld म रह रही शाशवित शीरीष कटोचा का अपने पित के साथ Patriamed के नाम स े दवाईयो ं का काफ़ बड़ा कारोबार है। उनक कंपनी म करीब सौ pharmacists काम करते ह और अभी उ कई और pharmacists क ज़ रत है। pharmacists को शु म inventory lists बनाना , और delivery track करना आिद काम िदया जाता है। धीरे धीरे उ ाहको ं के साथ संवाद करने िदया जाता है। वे online ाखयान आयो जत करके Philipines, Syria आिद से युवा pharmacists लाने म कामयाब ई ह , पर भारत से अभी तक उ कोई कामयाबी नही ं िमली। शाशवित जी कहती ह िक जम नी म तकनीक े म तो ब त से भारतीय आते ह , लेिकन चिक ा े म िबलकुल नही ं आते , जबिक जम नी म कम से कम 25000 pharmacists क कमी है। भारत से pharmacists बुलान े के लए उ ोन ं े दो िव िव ालयो ं म ा ान भी िदया , पर कोई सफ़लता नही ं िमली। वे कहती ह िक डा रो ं क अपे ा pharmacists के आने के लए इतनी खास सम ा नही ं है। उ अपनी पढ़ाई के साथ C1 र तक जम न भाषा आनी चािहए। मारवाड़ी पृ भूिम वाली शाशवित जी 1996 म सोलह साल क उ म undergraduation क पढ़ाई के लए अमरीका ग , तो उनक मुलाकात एक जम न युवक Bernhard Metzger से ई। वे राजनैितक पृ भूिम से थे। उसके बाद उनका आपस म email के ारा कुछ संपक रहा। 2001 म वे एक साल के लए भारत वापस आ , जसके बाद उ masters क पढ़ाई के लए वापस अमरीका जाना था। इस दौरान Bernhard आयुव द के बारे म कुछ जानकारी ा करने के लए भारत आए और शाशवित जी के प रवार के साथ पूना म रहे। शाशवित जी ने भी उ खूब घुमाया िफराया। इस दौरान उनक घिन ता बढ़ी जो अगले साल 2002 म शादी म बदल गई और वे शाशवित शीरीष कटोचा से शाशवित Metzger बन ग । अपने दो ब ो , ं जो अब बड़े हो चुके ह , के साथ वे खुशहाल जीवन िबता रही ह । समय समय पर जम नी म या यूरोप म रह रहे भारतीयो ं के न ीय भेद- भाद के समाचार आते रहते ह । Köln और Düsseldorf भारतीयो ं का night club म ना घुसने देना, Italy म night club म ना घुसने देने के बाद उनक गािड़यो ं पर प रो ं के साथ पथराव करना, जम नी म एक भारतीय अ भनेता के casting के दौरान बुरा बता व करना, ऐसी घटनाओ ं का दद वही समझ सकता है जस पर बीती है। पर अलग िदखना अपने आप एक सम ा है। ह चा वालो ं को भी भारत म लगातार घूरे जाने से सम ा होती है। लेिकन ह चा वालो ं को हमेशा अ धक ीकृित: िमलती है। अब पता नही ं िक यह एक कुसरत का कानून है बचपन से हमम डाले गए सं ार ह । पर िफर भी यह कहना गलत नही ं होगा िक जम नी एक बड़ा देश है जहां अनेक तरह के लोग रहते ह । आमतौर पर जम न लोग भारत और भारतीयो ं के ित सकारा क ि कोण रखते ह । वे भारत को आकष क और िदलच पाते ह । और ज भारत िदलच नही ं लगता, उनका रवैया तट रहता है। ऐसे ब त कम जम न लोग होग ं े जो प से भारतीयो ं के खलाफ ि गत या राजनीितक कारणो ं से कुछ भी कर गे। लेिकन अगर आप ढूंढने पर तुले ही ह तो साढे आठ करोड़ जम नो ं म कुछ तो भारत िवरोधी िमल ही जाएंगे। सामा त bouncers (Türsteher) को मा लक क िहदायत होती है िक िकसे club के अंदर आने िदया जाए, िकस को नही। ं कई बार वे Türsteher को कहते ह िक काले बालो ं वालो ं को या गहरी चा वालो ं को (सामा त तुिक यो ं और अरिबयो ं को) नही ं आने िदया जाए। कई बार ऐसा भी होता है िक Türsteher खुद तुक होता है पर वह िकसी तुक को अंदर आने नही ं दे सकता। कई बार ऐसा भी होता है िक गहरी चा वालो ं के ब े यही ं जम नी म पैदा ए और बड़े ए होते ह , यािन वे अकल से प े जम न होते ह , उ भी अंदर जाने नही ं िदया जाता। कई ब वालो ं का यह भी अनुभव होता है िक िवदेशी लोग ब के अंदर alcohol का सेवन नही ं करते, या ब त कम करते ह । alcohol बेचने से ही उ अ धक कमाई होती है। तो उन लोगो ं म उ कुछ खास फायदा नही ं िदखता। कई रे रां वालो ं का अनुभव होता है िक भारतीय लोग मु त का नल का पानी मांगते ह , खाना बांट कर खाते ह , इस लए वे भारतीय मेहमानो ं को नज़रअंदाज़ करते ह । कई swinger clubs वालो ं को लगता है िक िवदेशी लोग ब त ऊ ं ची आवाज़ म बात करते ह जससे वहां का शांत वातावरण भंग होता है और यूरोिपयन लोगो ं का आना कम हो जाता है। पर िकसी भी ित का सामा ीकरण नही ं िकया जा सकता। जहां तक night clubs क बात कर तो अ धकतर clubs म ऐसा नही ं होता है और वैसे भी आज क ित बीस साल पहले क ित से बेहतर है। अ धकतर ऐसी जम नी म अ धकतर ब े ूल म कोई ना कोई संगीत वा ज़ र सीखते ह जैसे बांसुरी, violin, clarinet वगैरह। उ sta f notation के साथ बजाना सखाया जाता है। भारत म यह प ित उतनी लोकि य नही ं है पर संगीत को कागज़ पर उतारने के लए यह प मी प ित उ म है। इसम सुर और ताल, दोनो ं शािमल होते ह । तकनीक उ ित के कारण आज यह संभव है िक भारतीय गीतो ं के बोलो ं को भी उनक मूल लिप म इस प ित के साथ लखा जा सके। इसका एक नमूना हम यहां पेश कर रहे ह । यह गाना ब ी लिहरी और बंगाली गाियका ना लैला क 1982 क एक album ‘Superuna’ से है, जसका शीष क है 'Disco ेमी'। ितयां डर के कारण पैदा होती ह । और डर उ ही लगता है जनका खुद का जीवन अ - होता है। ऐसे लोग िगने चुने होते ह । उ लगता है िक ये िवदेशी लोग उनक नौक रयां और औरत ले जाएंगे। कई बार तो बसो ं टेनो ं म गोरे लोग गहरी चा वालो ं को बुरा भला कह देते ह । पर ऐसे लोग अ धकतर खुद के जीवन से परेशान होते ह । कई जम न लोगो ं को यह बात पसंद नही ं िक जम नी म श ण को शासिनक सेवा का दजा िदया जाता है। शासिनक अ धका रयो ं को नौकरी से िनकाला नही ं जा सकता , इस लए उन पर श ण क गुणव ा बढ़ाने का दबाव नही ं होता। इसके उलट England म श ण को शासिनक सेवा का दजा नही ं िदया जाता। इस लए England म श क नौकरी बचाए रखने के लए अ धक मेहनत करते ह । शासिनक अ धका रयो ं से देश के ित िन ा क उ ीद क जाती है और हड़ताल करने क अनुमित नही ं होती। पु लस और शासन म इसका ब त मह है। पर श को ं से ऐसी िन ा क उ ीद रखना कोई ज़ री नही। ं शासिनक अ धका रयो ं को प शन बीमा और ा बीमा भी नही ं देना पड़ता।