हनुमान ज् योतिष विद्या रचिि | श्र ी रामशालका प्र श् नािली Credits @ https;//hanumanchalisapdf4u.com हनुमान ज् योतिष विद्या रचिि | श्र ी रामशालका प्र श् नािली Credits @ https;//hanumanchalisapdf4u.com सुनु ससय सत् य असीस हमारी। पूजहह मन कामना िुम् हारी॥ हनुमान ज् योतिष विद्या रचिि | श्र ी रामशालका प्र श् नािली Credits @ https;//hanumanchalisapdf4u.com प्र बिसस नगर कीजे सि काजा। हृ दय राखि कोसलपुर राजा॥ हनुमान ज् योतिष विद्या रचिि | श्र ी रामशालका प्र श् नािली Credits @ https;//hanumanchalisapdf4u.com उघरहहिं अिंि न होइ तनिाहू। कालनेसम जजसम रािन राहू॥ हनुमान ज् योतिष विद्या रचिि | श्र ी रामशालका प्र श् नािली Credits @ https;//hanumanchalisapdf4u.com बिचि िस सुजन क ु सिंगि परहीिं। फतन मतन सम तनज गुन अनुसरहीिं॥ हनुमान ज् योतिष विद्या रचिि | श्र ी रामशालका प्र श् नािली Credits @ https;//hanumanchalisapdf4u.com होइहह सोइ जो राम रचि रािा। को कररिक क िढ़ािै सािा॥ हनुमान ज् योतिष विद्या रचिि | श्र ी रामशालका प्र श् नािली Credits @ https;//hanumanchalisapdf4u.com मुद मिंगलमय सिंि समाजू। जो जग जिंगम िीरथ राजू॥ हनुमान ज् योतिष विद्या रचिि | श्र ी रामशालका प्र श् नािली Credits @ https;//hanumanchalisapdf4u.com गरल सुिा ररपु करहहिं समिाई। गोपद ससिंिु अनल ससिलाई॥ हनुमान ज् योतिष विद्या रचिि | श्र ी रामशालका प्र श् नािली Credits @ https;//hanumanchalisapdf4u.com िरु न क ु िेर सुरेस समीरा। रन सन् मुििरर काहु न िीरा॥ हनुमान ज् योतिष विद्या रचिि | श्र ी रामशालका प्र श् नािली Credits @ https;//hanumanchalisapdf4u.com सुफल मनोरथ हो हुुँ िुम् हारे। रामु लिनु सुतन भए सुिारे॥ हनुमान ज् योतिष विद्या रचिि | श्र ी रामशालका प्र श् नािली Credits @ https;//hanumanchalisapdf4u.com सुनु ससय सत् य असीस हमारी। पूजहह मन कामना तुम् हारी॥ यह िौपाई िालकाण्ड में से सल गई है यहा श्र ी सीिा जी गौरी पूजन क े प्र सिंग में है। िथावप गौरी जी ने प्र सन्न होकर श्र ी सीिा जी को आशीिाकद हदया है। प्र बिसस नगर कीजे सि काजा। हृ दय राखि कोसलपुर राजा॥ यह िौपाई सुिंदरकािंड में से सल गई है यहा श्र ी हनुमान जी लिंका मे प्र िेश करिे समय का िर्कन ककया गया है। िात्पयक : - भगिान का स् मरर् करिे हुए कायक आरम्भ करो, सफलिा समलेगी। िात्पयक : - कायक ससद्ि होगा। होइहह सोइ जो राम रचि रािा। को कररतक क िढ़ावै सािा॥ यह िौपाई िालकाण्ड में से सल गई है यहा िालकाण्ड क े आरम्भ में सत्सिंग िर्कन क े प्र सिंग में है। िात्पयक : - कायक की सफलिा में सिंदेह है। बिचि िस सुजन क ु संगत परहीं। फनन मनन सम ननज गुन अनुसरहीं॥ यह िौपाई िालकाण्ड में से सल गई है यहा िालकाण्ड क े आरम्भ में सत्सिंग िर्कन क े प्र सिंग में है। िात्पयक : - िोटे मनुष् यों का सिंग छोड़ दो। कायक पूर् क होने में सिंदेह है। यह िौपाई िालकाण्ड में से सल गई है यह िौपाई िालकाण्ड में सशि पािकिी सिंिाद की है। िात्पयक : - कायक पूर् क होने में सिंदेह है, अि: उसे भगिान पर छोड़ दे। उघरहहं अंत न होइ ननिाहू। कालनेसम जजसम रावन राहू॥ राम शलाका उपयोग : - यह शलाका क े 255 अक्षर समल कर रामिररिमानस क े 9 िौपाई िनािे है। आप ककसी भी अक्षर को िुन कर अपने उसका जिाि जान सकिे है। हर 9 िे अक्षर का जिाि िही समलेगा िाकी अथक आप िौपाई से समझ कर अपने जीिन मे ढाल सकिे है। हनुमान ज् योतिष विद्या रचिि | श्र ी रामशालका प्र श् नािली Credits @ https;//hanumanchalisapdf4u.com मुद मंगलमय संत समाजू। जो जग जंगम तीरथ राजू॥ यह िौपाई िालकाण्ड में से सल गई है यह िौपाई िालकाण्ड में सिंि - समाजरूपी िीथक क े िर्कन में है। िात्पयक : - प्र श् न उत्तम है। कायक ससद्ि होगा। गरल सुिा ररपु करहहं समताई। गोपद ससंिु अनल ससतलाई॥ यह िौपाई सुिंदरकािंड में से सल गई है यहा श्र ी हनुमान जी लिंका मे प्र िेश करिे समय का िर्कन ककया गया है। िात्पयक : - प्र श् न िहुि श्र े ष् ठ है। कायक सफल होगा। सुफल मनोरथ हो हुुँ तुम् हारे। रामु लिनु सुनन भए सुिारे॥ यह िौपाई लिंकाकाण्ड में से सल गई है यहा रािर् की मृत् यु क े पश् िाि मन् दोदरी क े विलाप क े प्र सिंग में है। िात्पयक : - कायक पूर् क होने में सिंदेह है। यहद आप ककसी उलझन मे है और प्र भु श्र ी राम और श्र ी हनुमान जी पर आस्था रििे आए है िो अपने काम की उलझन को दूर करने क े सलए आप इस श्र ी राम शलाका प्र श् नािली का उपयोग ले सकिे है। यह एक आस्था का विषय है यहद आप की दृ ढ़ आस्था है िो आपक े प्र श् न का उत्तर अिश्य समलेगा। || जय श्र ी राम ||